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किशन कन्हैया मुरली बजैया , सब के मन को भाये । गोपियों संग घूम घूम के, दही और मक्खन खाये। रास रचैया किशन कन्हैया, सबको बहुत नचाये । सब लोगों के दिलों में बसे , सबको खुश कर जाये । मुरली की आवाज सुनाकर, मन को शांत कराये । गायों के संग घूम घूम कर , ग्वाला वह कहलाये। गोपियो को छेड़े कन्हैया , सबको खूब तरसाये। नटखट कन्हैया बंशी बजैया , माखनचोर कलहाये । सब कष्टो को दूर करे वह , संकट हरण कहलाये । राधा के संग नाचे कन्हैया , संग में रास रचाये । कदम्ब पेड़ पर बैठ कन्हैया , मुरली मधुर बजाये खेल खेल मे किशन कन्हैया , राक्षसो को मार गिराये । लोगों के रक्षा खातिर , गोवर्धन को उठाये । इन्द्र देव के कोप से, सबका जीवन बचाये ।