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नाम:खीमन मूलाणी (१९४४- )
जन्म: नवाबशाह के दर्स गाँव में।
1960 से लेखन कार्य सतत जारी है। उनके प्रकाशित 4
काव्य संग्रह, एक कहानी संग्रह ‘ओसीरो’। बाल साहित्य
पर उनके दो संग्रह प्रकाशित हैं। अनुवाद के क्षेत्र में आप
एक सिद्धस्त हस्ताक्षर हैं। 9 पुस्तकों का हिन्दी से सिंधी में
अनुवाद। रवीन्द्रनाथ टैगोर की ‘गीतांजली', नॉवल ‘जल
तू जलाल तू, और डॉ. अंबेडकर का सिंधी अनुवाद विशेष हैं।
सिंधी के अनेक संग्रह हिन्दी में अनुवाद किए हैं जिनमें –
‘स्वामी के श्लोक’ चर्चित है। देश के जाने माने हस्ताक्षर
लेखकों के कहानी संग्रह व उपन्यास अनुवाद किए हैं, कुछ
प्रेस में हैं। राष्ट्रीय सिंधी विकास परिषद की ओर से-‘उडुर-
उडुर रे पोपटड़ा’ के लिए 1992 में पुरुसकार हासिल, फिर मुसलसल 1995, 2004,2010 में केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के ओर से ‘सुहिणा गुलड़ा बार’ के लिए पूरुस्कार। पता: A-14/134 बैरागढ़,भोपाल-462030, Ph: 09827343735
Email: khimanmulani10@gmail.com
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