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गाँव - गाँव हो गया भिखारी ये कैसी माया सरकारी विधवा बनकर पेन्शन लेती देखा एक सुहागन नारी वोट के बदले नोट मिलेगा खुला ख़ज़ाना है सरकारी स्वाइन -फ्लू आ गया यहाँ भी सूअर बाँट रहे बीमारी हाड़ के पीछे कुत्ते लड़ते बीच सड़क पर मारा - मारी महाकुम्भ के इस मेले में बुढ़िया गिरी पिसी बेचारी मोदी हों या राहुल भैया देश से ज़्यादा कुर्सी प्यारी कुछ कवि जनता का दुख गाते कुछ गाते कविता दरबारी