ठंड से कांपता हुआ भीखारी चाय की दुकान पर जाता है।सेठजी एक चाय देना। भगवान तुम्हारा भला करेगा।चाय की दुकानवाला
दस रुपये जेब मे है? भीखारी बोला सेठजी दस तो नहीं है परंतु पांच रुपये हैँ।पांच मे तुझे कौन चाय पिलायेगा ? भीखारी हाथ
जोङते हुए बोला भगवान तुम्हारा भला करेगा।तेरे कहने से भगवान भला करता तो तेरा ही कर देता।हट यंहा से सुबह सुबह ही
चले आते हैं जैसे मैने दुकान धर्म करने के लिए खोली है।थोङी देर उस वार्ड का पार्षद चार पांच साथियो के साथ आता है।पांच
चाय का आर्डर देता है।चाय पीकर चलने लगते हैँ।भाई साहब चाय के पैसे?पार्षद गुस्से मे आकर बोला तेरे को चाय की दुकान
चलानी है या नहीं।अगर दुकानदारी करनी है तो पैसा कभी भी भूल से मत मांगना।हम जानता के सेवक है।जनसेवक की सेवा
करना जनता का फर्ज है।