इस कदर अब बुरे वक्त आने लगे हैं /
सोएं मुर्गे, लोग उनको जगाने लगे हैं/
कश्ती डूबने की डर थी जिन्हे बीच भँवर में /
अपनी कश्ती ही खुद वो डुबोने लगे है /
ना दुःख में शामिल, सुख में मिलना बामुश्किल /
अब "फेसबुक" पर केवल दोस्ती निभाने लगे है /
जवानी के जोश में हुए बेख़ौफ़ इस कदर /
मासूमों पर ही अपनी मर्दांगिनी दिखाने लगे है /
जिन्हे मालूम नहीं तख़्त क्या बला है "राजन"
अब वे ही केवल तख़्त पाने लगे है /
कैसे-कैसे हालात पैदा हुए इस वतन में /
अब गदहे भी घोड़े कहलाने लगे है /
किनके भरोसे छोडू अपने प्यारे वतन को/
लूट में "काले" ही "गोरों" को हराने लगे है /