![]() |
मुखपृष्ठ |
दहकती धरती को देखकर, लाशों के ढेर की गिनती करते रो रहे है, राम और रहीम कल अचानक बवाल उठा, बिच चौराहे पर लड़ पड़े दो इंसान, भीड़ की संख्या बढ़ने लगी जनता दो धड़ो में बंटने लगी। अरे! जो लड़ रहे है ,वे इंसान नही है, कुछ हिन्दू कुछ मुस्लमान है। आक्रोश की अग्नि भड़क उठी, मजहबी पंछियों की आहट तेज हुई। छिड़क डाला जहर, धार्मिक नारों का, पल भर में धरा, लाल रक्त से रंग गई। प्यास लहू की मिट गई, रक्त से रक्त मिलकर पूछ रहा था "तू हिन्दू है या मुस्लमान"? दंगो का जूनून गुजर गया, किसी बाप का बेटा किसी बेगम का सुहाग उत्तर गया। देखकर तबाही इंसानियत की राम और रहीम रोते जा रहे है, बस! रोते जा रहे है।