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एक राजा के दरबार में एक आदमी एक गधा लेकर प्रवेष करता है। वह आदमी राजा को अपना परिचय देता है। वह अपनी खासियत बताता है कि महाराज मेरे पास एक हुनर है जो दुनिया में किसी के पास नहीं है। राजा उस आदमी से उसके हुनर के बारे में जानने की उत्सुकता जाहिर करता है। उस आदमी ने राजा को बताया महाराज, मैं गधे को आदमी बनाने का हुनर जानता हूँ। राजा को बड़ी प्रसन्नता हुई, राजा ने उस आदमी को गधे से आदमी बनाने का आदेश दिया। उस आदमी ने राजा के सामने कुछ शर्तें रखी। उस आदमी ने राजा को शर्तें में बताया, महाराज इस काम के लिए मुझे काफी धन की आवष्यकता होगी और दूसरी बात इस काम को पूरा होने में कम से कम बीस साल लगेंगेंं। राजा तैयार हो गया। राजा ने सख्त लहजे में उस आदमी को कहा, यदि तुम इस काम को नहीं कर पाये तो तुम्हें बीच बाजार में जिंदा ग़ाड़ा जायेगा। राजा ने अपने वित्त मंत्री को आदेष दिया, इस आदमी को इसकी मांग के मुताबिक धन मुहैया कराया जाए। सरकारी ख़जाने से उस आदमी को हजारों सोने की अषर्फियां-मोहरें मुहैया करा दी गईं। उस आदमी ने राजा को सलाम करके, बीस साल बाद मिलने का वादा कर, अपने गधे के साथ प्रस्थान किया। जैसे ही उस गधे वाले आदमी के दोस्तों-परिचितों को पता चला, कि उसने राजा से बहुत सारा धन ले लिया है। गधा कभी आदमी बनता नहीं है अब जरूर ये गधे वाला राजा के गुस्से का षिकार होगा। सरेआम मौत के घाट उतारा जायेगा। सारे लोग उससे कह रहे थे, अरे भैया राजा से क्यों पंगा मोल ले लिया। गधा कभी आदमी बन सकता है? अब तू बेमौत मारा जायेगा। गधे वाले आदमी ने अपने दोस्तों-परिचितों से कहा, तुम लोग मूर्ख हो। मैं भी जानता हूँ कि गधा आदमी नहीं बन सकता । मेरी नज़र तो राजा से प्राप्त धन से आनंद उठाने की है। इतना धन मुझे मिला है, आनंद से बाकी जिंदगी कटेगी। फिर लोगों ने कहा तुम्हारे हुनर का क्या होगा। राजा तो तुम्हें मार ही डालेगा। अरे मेरे शुभ-चिंतकों, आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। मैंने राजा से बीस साल का समय मांगा है। राजा खुद बूढ़ा है। बीस साल में खुद ही मर जायेगा। तो मेरी झंझट ही खत्म हो जायेगी या फिर बीस साल में ये बूढ़ा गधा ही मर जायेगा।तब राजा से कहूंगा महाराज मैं जिस गधे पर अपने हुनर का प्रयोग कर रहा था वह तो मर गया। अब मैं कुछ कर नहीं सकता।