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मैं तुम्हारे प्रेम की शर्त पूरी नहीं कर सकता तुम्हारे प्रेम की खातिर इस जग को नहीं छोड़ सकता तो क्या मैं तुम्हे प्रेम नहीं करता? यदि मैं तुम्हारी शर्त पूरी न करूँ तो क्या तुम्हारे मन में मेरे प्रति कोई प्रेम नहीं है यदि ऐसा है तो तुम्हारा प्रेम निस्वार्थ नहीं है और तुम्हे मुझसे प्रेम नहीं है तुम्हे तो केवल अपने से प्रेम है और तुम अपनी क्षुधा के लिये केवल मुझे पा कर मुझे अपने तक ही सीमित रखना चाहती हो जो निश्चय ही एक निश्छल प्रेम नहीं है! निश्छल प्रेम नहीं है!!