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पेड़ घर में आँगन में खड़ा सीना तान उस पर बैठे पंछी हजार तोता मैना गौरैया और कोयल काली धम्म नीचे गिरी गौरैया फरफराती पर उत्सुक निगाहें टटोलती मैंने उसे दबोचा कहा-'गौरैया फुदक जरा आँगन में फिर उड़ जाना ' गौरैया उदास हिलाने लगी पर किन्तु कहाँ था ? आँगन खुला न घास की फुलझड़ियाँ न कच्ची दीवाल गौरैया फुर्र उड़ गई सपने दे गई