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जीवन जीना है एक कला दुःख लेना सबके सदा- भी तो है एक कला,,, कोई पढ़ता किताब कागज़ी, कोई पढ़े जीवन किताब,, पढ़ो कुछ भी लेकिन- जी लो तुम एक जीवित जीवन,, कल न आएगा कभी, कल न आया था कभी,, कल कुछ न पायेगा कभी,, आज बस है तू और आज ही है तुझमें,,, सच यदि है साथ तेरे आएगा सामने ही,, इंतज़ार न कर, दिल को बेकरार न कर,, करना है तो नेकी कर डरना है तो बदी से डर,, दुखी जो अब है तू तो नास्तिक होगा जरूर,, ईश पर जो किया भरोसा कर्म में न है गर धोखा अंधकार हो कोई भी फिर सहर होगी ही जरूर,,, जीवित प्रकृति जीवित है तू मृतप्राय फिर बना क्यूँ?? उठ जी अमृत रस कण कण है बह रहा एक बार तो पी, हंसा किसी रोते को एक निवाला तो खिला किसी भूखे सोते को, देख तेरे अश्क काफूर हो जायेंगे सुख दुःख तू होगा सम गुम होंगे कहीं सारे गम हल्का हो पंछी वत प्रफुल्लित तू उड़ेगा वन उपवन जीवन से भरा भरेगा जीवन ही,, है जीवन जीना एक कला समझेगा तू उसदिन ही,,,,