![]() |
मुखपृष्ठ |
प्रारब्ध के हाथ नहीं खेलना, थोड़ा सा कष्ट तो झेलना। राह नई पहचान के तू, चुनौती उसको मान के तू, चल पड़ना अपनी मंजिल को, न काँटें राह के देखना। थोड़ा सा कष्ट तो झेलना.... रोज नया संकल्प बना, धरती और आकाश मिला, कोई काम नहीं मुश्किल होता, हर बात को ऐसे देखना। थोड़ा सा कष्ट तो झेलना.... गया वक्त लौट कर आये न, पछतावा मन को भाये न, जो करना है सो अब कर ले, आगे को नहीं धकेलना। थोड़ा सा कष्ट तो झेलना....