बेकस दिल ने आख़िर ये माना |
आसां नहीं है उनको भुलाना |
लुटा दें भले हम सब उनकी ख़ातिर,
फिर भी ना छोड़ेंगे हमें आज़माना |
हम तो मिले थे चुपचाप उनसे,
ना जाने दुनिया ने कैसे ये जाना |
देख के उनकी आँखें नशीली,
कौन जाए कम्बख़्त मैखाना |
चारों तरफ़ थे ग़म के अँधेरे,
उन्हीं से हमने सीखा मुस्कुराना |