
भारत की सेना तैयार
(आल्हा छंद )
(आल्हा छंद )
श्लेष चन्द्राकर
सदा देश की रक्षा करने, भारत की सेना तैयार। सूझबूझ से करती आई, विफल शत्रुओं के हर वार।। शत्रु राष्ट्र ने भारत माँ पर, जब-जब डाली गलत निगाह। तब-तब मानी है सेना ने, करके उसको पूर्ण तबाह।। चाल चले दुश्मन कितना भी, विफल उसे करती हर बार। मुश्किल से मुश्किल पल में भी, नहीं मानती सेना हार।। चाहे कितना ताकतवर हो, देश जगत में कोई मीत। तत्पर रहती लड़ने उससे, कभी न होती यह भयभीत।। लैस आधुनिक हथियारों से, भारत की सेना है आज। इसको कोई छेड़ेगा तो, टूट पड़ेगी बनकर गाज।। कभी भूल से दुश्मन कर दे, कोई हरकत जब नापाक। तो अपनी यह सेना उसको, पल भर में कर देगी खाक। अपनी इस सेना में शामिल, सभी धर्म के वीर जवान। हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई, सबकी है ये तो पहचान।। जाति पांति के भेद न करती, हर जन को यह माने एक। मानवता के भाव लिए जो, कार्य सदा करती है नेक।। संकट में फँस जाने पर हम, करते हैं सेना को याद। आज इसी के कारण ही तो, देश हमारा है आबाद।। राष्ट्र धर्म का पालन करने, ये तो रहती है तैयार। मुखड़ों पर जन-जन की लाती, यह तो हरदम खुशी अपार।। सेना ही सबको देती है, सुख से जीने का अधिकार। बड़ी शान से लोग मनाते, ईद दिवाली का त्यौहार।। कभी महामारी आ जकड़े, या लग जाये आपतकाल। यही पूछने जाती घर-घर, पीड़ित जनमानस का हाल।। खुद से ज्यादा हम करते है, अपनी सेना पर विश्वास। झूठें नेताओं के जैसे, नहीं तोड़ती जन की आस।। चाहे जितना कठिन दौर हो, देती यह जनता का साथ। और मदद को सदा बढ़ाती, आगे अपना यह तो हाथ।।