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देखो भाई यह दीपक , ढेरों खुशियाँ देती है । पल भर में दीप यही , बारिस दुःख की करती है ।।1।। देखो तो दीपों का खेल , जीवन भी मोड़ देती है । यह जीवन है दीप समान , जो जलती-बुझती रहती है ।।2।। जीवन की कैसी परिभाषा , इसमें छुपी आशा -निराशा । आशा सबकी है पिपाशा , पुष्प समझे निराशा की भाषा ।।3।।