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बाज़ी हाथ निकलते देखा सच को रंग बदलते देखा नाम अमन था लेकिन हर सू उसको आग उगलते देखा क्या दूं अपनों की परिभाषा जब अपनों को छलते देखा चेह्रे पर मासूम हंसी थी दिल में दर्द मचलते देखा पौध मुहब्बत की रोपी थी फूल नफरती फलते देखा जिसकी फितरत में है जलना उस सूरज को ढलते देखा आखिर आंच सहेजा कबतक गुस्सा 'नज़्म' उबलते देखा