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उठा के मुझको बलाओं के सामने रख दो चराग़ हूँ मैं हवाओं के सामने रख दो। ये मेरा मसअला उनसे सुलझ न पायेगा ज़माने भर के ख़ुदाओं के सामने रख दो। यक़ीन है कि समंदर को खींच लायेगी हमारी प्यास घटाओं के सामने रख दो। जुनूने-इश्क़ की तफ़सील है फ़क़त इतनी बदन को जलती कबाओं के सामने रख दो। बढ़ेगी और उजाले की देखना शोहरत हमारे हाथ शुआओं के सामने रख दो। हिसाब तेरी जफ़ाओं का साथ लाया हूँ मुझे सरापा ख़ताओं के सामने रख दो। ये देखना है कि तासीर किसकी ज़्यादा है हमारे ज़ख़्म दवाओं के सामने रख दो।