बन्तो ताई रिश्ता लेकर आई थी। घर बहुत बड़ा था, घर में 2-2 गाड़ियाँ, बड़े-बड़े खेत हैं। लड़का इकलौता है। हरिदास की तीन लड़कियाँ हैं एक से एक सुन्दर, गुणी व होनहार। वह घर देखने अपने छोटे भाई के साथ गये। सब कुछ पसंद आ गया। लड़का भी ठीक लगा। बात-बात में लड़के वालों ने कहा कि उनकी कोई भी माँग नहीं है, अच्छी लड़की के सिवा। ये सुनकर हरिदास की साँस में साँस आई। उसने आकर सारी बात पनी पत्नि से सांझी की। पत्नि भी खुश हो गई। उनकी बड़ी बेटी को जब पता चला तो जिज्ञासा हुई कि उसका होने वाला पति करता क्या है? लेकिन हिम्मत ही न हुई। माँ-बाप अमीर न थे, बेटी का बोझ उतार दे, यही बहुत था इसीलिये उसने हाँ कर दी। शादी हो गई, कुछ महीने तो सब सही रहा, लेकिन किस्मत कब तक झूठ का साथ देगी। लड़का निकम्मा और अनपढ़ मानसिक रूप से बीमार। अब सीमा के घर एक नया मेहमान भी आ गया, परन्तु पति की तरफ से कोई मदद नहीं, उल्टा उसे बिठाकर खिलाना पड़ता। घर में रोज़-रोज़ का कलेश खड़ा हो गया। वह सदैव सोचती इस समझौते से तो वह कुँवारी ही भली थी।