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निकली है आज छूने लो आसमान चिड़िया ! भर लेगी मुट्ठियों में सारा ज़हान चिड़िया ! हर मोड़ पर शिकारी, हर सिम्त हैं शिकारी गोया ज़रा सँभलकर भरना उड़ान चिड़िया ! कितना भी उड़ो ऊँचा, फैलाओ पंख जितने ऊँचाइयों पे रखना धरती का ध्यान चिड़िया ! हो घोंसले में चाहे निकले किसी सफ़र पे, देती है रोज़ कितने ही इम्तिहान चिड़िया ! बाज़ार डालता है दाने तरह - तरह के रहना कदम - कदम पे तू सावधान चिड़िया ! नॉचे हैं पंख किसने हर ओर सनसनी है, जो होश में आये तो खोले ज़ुबान चिड़िया !