![]() |
मुखपृष्ठ |
सोचा न करो तुम इतना जो होता है ,होने दो जो होगा सामने आयेगा फिर सोचेंगे क्या करना है।।1।। स्वीकार करेंगे, सहज भाव से , जो मिलता है, मिलने दो, ना मिले ,तो ना सही।।2।। हम राह में हैं इस जीवन के संघर्ष हमारी नियति है।।3।। संघर्ष के बाद भी ना मिले तो यह हमारी करनी है।।4।। कर्मो से आशा बनती है प्रतिपल जीते रहने की अहित से लड़ने की हित में परिवर्तित करने की।।5।। पूर्ण विराम कहीं नहीं है न सुख में न दुख में दोनो आते जाते रहते हैं कॉमा लगा लगा कर।।6।। सोचा न करो तुम इतना।