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उसे आँखों से कम सूझता है अब घुटने जवाब देने लगे हैं बोलती है तो कभी-कभी काँपने लगती है उसकी ज़बान घर के लोगों के राडार पर उसकी उपस्थिति अब दर्ज़ नहीं होती लेकिन वह है कि बहे जा रही है अब भी एक सजल संवेदना-सी समूचे घर में -- अरे बच्चों ने खाना खाया कि नहीं कोई पौधों को पानी दे देना ज़रा बारिश भी तो ठीक से नहीं हुई है इस साल