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मन में जगे सवालो को शब्दो में पिरो दिया की थोड़ा थोड़ा कर तुझमे खुद को जी लिया बैठी थी मैं जब सपनो के साहिल पर सिंदूरी आसमां ने तुझमे मुझको रंग दिया किस्सों और कहानियो में राजा रानी का प्यार पढ़ा पहाड़ो और नदियों का संगम सुना हीर और रांझे का विछोह सुना अधूरे इश्क़ की दास्ताँ सबने बना डाली रूह से रूह के मिलन को किसने देखा की तूने प्रेम के सिंदूरी रंग में रंग लिया मुझको और मैंने भी थोड़ा थोड़ा कर तुझमे खुद को जी लिया