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रामलाल की इकलौती बिटिया गले में फन्दा डालकर झूल गई।
शायद कल रात का अपमान बरदाश्त न कर पायी थी। करती भी कैसे उसके ही बाप ने तो हैवानियत के नशे में उसे कमरे में बन्द कर लिया था।
रोना-गिड़-गिड़ाना कुछ काम न आया था।