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पन्नो मे इतिहास के, लिखा स्वयं का नाम ! दो हजार सत्रह चला,..यादें छोड तमाम !! दो हजार सत्रह चला, छोड सभी का साथ ! हमें थमा कर हाथ में,. नये साल का हाथ !! हो जाए अब तो विदा,... कलुषित भ्रष्टाचार ! यही सोचकर आ गया,जी अस टी इस बार !! ढेरों मिली बधाइयाँ,……बेहिसाब संदेश ! मिली धड़ी की सूइंयाँ,ज्यों ही रात “रमेश”!! मदिरा में डूबे रहे, …लोग समूची रात ! नये साल की दोस्तों, यह कैसी सुरुआत !! नये साल की आ गई, नयी नवेली भोर ! मानव पथ पे नाचता, जैसे मन मे मोर !! नये साल का कीजिये, जोरों से आगाज ! दीवारों पर टांगिये, .नया कलैंडर आज !! घर में खुशियों का सदा,. भरा रहे भंडार ! यही दुआ नव वर्ष मे,समझो नव उपहार !! आयेगा नववर्ष में, …..शायद कुछ बदलाव ! यही सोच कर आज फिर, कर लेता हूँ चाव !! जाते-जाते दे गया, घाव कई यह साल ! निर्धन हुए अमीर तो, भ्रष्ट हुए कंगाल !!