
दरवाजे पर लगी कॉल बेल की आवाज सुनकर सहगल साहब अचकचा से गए। "लॉकडाउन चल रहा है। घर पर कोई नौकर भी नहीं है, जिसे दरवाजा खोलने के लिए कह दूं। इस समय कौन हो सकता है? अभी तो कोई किसी के घर जा भी नहीं रहा है और मुझसे मिलने तो वैसे भी कोई नहीं आता। आज अचानक कौन हो सकता है?" बहुत ही चिंता की गठरी सर पर उठाए सहगल साहब दरवाजे की ओर चल पड़े। घर क्या था, बहुत बड़ा बंगला था। बंगले के दरवाजे पर पहुंच सहगल साहब के पैरों तले की जमीन खिसकने लगी। दरवाजे पर बहुत सारे पुलिस के जवान थे। उनको घबराहट होने लगी। तभी एक इंस्पेक्टर ने पूछा, "आप ही मिस्टर सहगल हैं?" "जी हां! क्या बात है, इंस्पेक्टर साहब।" घबराते हुए बोले। तभी सामने से 'हैप्पी बर्थडे टू यू' का गाना बजने लगा। पुलिस के सभी कर्मचारियों ने गाना गाया और उनसे सामाजिक दूरी बनाते हुए केक कटवाया, फूल भी दिया। यह सब देख सहगल साहब की आंखों से आश्चर्य व ख़ुशी की अविरल धारा बहने लगी।
"आपको कैसे पता चला कि आज मेरा जन्मदिन है।" सहगल साहब ने पूछा। "अरे सर!आप लॉक डाउन की वजह से अंदर रहते हैं। हम पिछले 1 महीने से इसी एरिया में ड्यूटी दे रहे हैं। हम अब सब को जानने पहचानने लगे हैं, इसीलिए इस एरिया के प्रत्येक व्यक्ति की जानकारी हमारे पास है। उसी से हमें आपके जन्मदिन का पता चला।" सहगल साहब आज बहुत खुश थे। उनके अंतर्मन के भावों का ज्वार शब्द बनकर फूट पड़ा। भर्राए गले से उन्होंने कहा, "यह लॉकडाउन तो वाकई बहुत बढ़िया है। इतना शानदार जन्मदिन तो मेरे अस्सी साल के जीवन में भी कभी नहीं बना। जब मेरे बच्चे साथ थे, तब भी नहीं बना और अब जब मैं बिल्कुल अकेला हूं तब तो सवाल ही नहीं उठता। आप वाकई कोरोना वारियर हैं। इस बीमारी से हमें बचाने के लिए आप एक शील्ड की तरह तो काम कर ही रहे हो, साथ ही जो जन्मदिन मैं खुद भी भूल चुका था उसे याद दिला कर व इतने उत्साह पूर्वक उसे मना कर जो अविस्मरणीय खुशी आपने मुझे दी है उसके लिए आप सभी का तहे दिल से आभारी हूँ।"