
शंभू और रूपा को भगवान ने अभी तक बेऔलाद रखा था। शंभू सारे इलाज, झाड़-फंुक और टोना-टोटका करवा कर थक चुका था। लोगों और रिस्तेदारों के ताने को सुन कर रूपा पूरी तरह से टुट चुकी थी। दोनों उम्मीद खो चूके थे। शंभू ने एक दिन रूपा से कहा ’’ तूम हँसी-ठिठोली करती हो तो अच्छा लगता है। कुछ तो दुःख कम होता है। ’’
आपने भी मजाक करना छोड़ दिया है। आप हमको हँसाने की कोशिश में खुद भी तो हँसते हैं।’’ दोनों ने एक दुसरे को हँसाने की कोशिश की मगर थोड़ी देर हँसने के बाद दोनों को रोना आ गया। भगवान के घर में देर है वाली बात सच हुई और रूपा ने बेटी को जन्म दिया तो दोनों की खुशी का ठीकाना नहीं रहा। किरण को गोद में लेकर शंभू खेल रहे थे तो, रूपा अचानक ठहाका लगाकर हँसने लगी और कहने लगी ’’ आपकी गोद में आते ही आपकी पैंट गिली कर दी इसने। आप से ज्यादा हमको समझती है। ’’
उसी दिन शंभू और रूपा टी0भी0 पर फिल्म देख रहे थे तो अचानक रूपा की तरफ देख कर हँसने लगे और कहने लगे ’’ मेरी तो पैंट गिली की थी इसने लेकिन तुम्हारी तो साड़ी गंदी कर दी। तुमसे ज्यादा हमको मानती है। ’’
रूपा भी हँसने लगी और ’ बदमाश ’ कहते हुए कुएं की तरफ चल दी।