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बड़े निशानेबाज़ हो , करो नहीं ये चूक ! रख कंधे पर ग़ैर के , चला रहे बन्दूक !! दिन को जब भी दिन कहा , कहा रात को रात ! पची नहीं आवाम को , खरी हमारी बात !! भाषण शैली गिर गई , फिसले रोज जबान ! नेता सोच विचार कर , दें विवादित बयान !! अखर गया कुतवाल को , उसका एक सवाल ! केस बना कर लूट का , किया बरामद माल !! अब लोगों के बीच से , गायब हुआ यकीन ! साँच झूठ का फैसला , करने लगी मशीन !! वो ही मिट्टी फूल है , वो ही मिट्टी शूल ! समय सभी को ढालता , मिट्टी के अनुकूल !! चिड़िया बैठी डाल पर , मन में गहरी पीड़ ! पत्थर के अब घर हुए , कहां बनाए नीड़ !! झूठ सदा किसका चला , बता मुझे सरकार ! हाँडी चढ़ती काठ की , कहां दूसरी बार !! हिम्मत जुटा वजीर ने , खरी कही जब बात ! राजा की शमशीर ने , बतला दी औकात !! मानवता का कब तलक , कायम रहे वजूद ! फिरे धर्म जब भीड़ में , तन पर मल बारूद !!