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गरमी आवत देख के , तोता बोले बात । पाना नइहे पेड़ मा , कइसे कटही रात ।। झरगे हावय फूल फर , कइसे भरबो पेट । भूख मरत लइका सबो , जुच्छा हावय प्लेट ।। नदियाँ नरवा सूख गे , तरिया घलव अटाय । सुक्खा होगे बोर हा , कइसे प्यास बुझाय ।। पानी खातिर होत हे , लड़ई झगरा रोज । मार काट होवत हवय, थाना जावत सोज ।। टपकत हावय माथ मा , पसीना चूचवाय । गरम गरम हावा चलत , अब्बड़ घाम जनाय ।। कइसे बांचे जीव हा , चिन्ता सबो सताय । पानी नइहे बूंद भर , मोला रोना आय ।।