
बुंदेली दोहे
काकी कक्का की नौक झोंक
काकी कक्का की नौक झोंक
सुशील शर्मा
कान लगा के सुन रहे ,कक्का हमरी बात। काकी ने बगरा दओ ,आके पूरो भात। काय सुनो प्रीतम तनक ,हम से कर लो बात। अकल अजीरन हो गओ ,दिन भर से बतयात। भाग हमारे का कहें ,ब्याह लई जा नार। जीबे से मरबो भलो ,जनम जिंदगी रार। सुन मुन्ना कक्का कहें ,बिलकुल सूधी बात। छाती पर पथरा धरो , ले जईओ बरात। दिन भर घर में बैठ के ,करिओ ने कछु काम। बात बतोले भांझ के ,करिओ फिर आराम।