![]() |
मुखपृष्ठ |
१. center> नेह जलद घिर कर आए,हटा ताप संताप | हवा पेड़ के गले लग,करती प्रेमालाप || २. center> उमड़-घुमड़ बादल घिरे,गरज,डरावें घोर | जैसे दम्भी जन सभी,हुंकारें पुरजोर || ३. center> आए बादल गगन में,लाए बूँद उपहार | धरती गदगद हो गई,मिला सजन का प्यार || ४. center> बिछुआ वर्षा का बजा,जागी भाव तरंग | छोड़ उदासी भर गई,मन में प्रेम उमंग || ५. center> सावन की आवाज सुन,धरा का नाचा मन | हवा निशाचरी आकर,ले भागी सभी घन || ६. center> तप कर पानी उड़ चला,छूने अम्बर छोर | दानी बादल बना वह,बरस गया घनघोर || ७. center> आम्र तरु पर बैठ कर,कोकिल,सोच,उदास | पेड़ों बिन कैसे रहें,रूँधी हमारी श्वास || ८. center> कहाँ गये जल बावड़ी,और कमल के ताल | रूठी क्यों बरखा सखी,प्रश्न करे बैताल ||