
पता नहीं क्या बात है, इन दिनों पिता जी से खाना खाते समय एक रोटी फर्श पर गिर जाती हैं। फिर उन्हें एक रोटी और देनी पड़ती है फर्श पर गिरी हुई रोटी डॉगी कालू को डाल देते है वे। न जाने कालू पर इतना मेहरबान क्यों हो गए है। पहले तो वह उन्हें फूटी आंख नहीं सुहाता था। उसे देखते ही दूसरी तरफ निकल पड़ते थे। मैं पतिदेव से कह रही थी। मेरी बात सुनकर पतिदेव हलके से मुस्कुराकर बोले कोरोना प्रभाव है यह। मैंने मतलब जानना चाहा।
मतलब यह कि कोरोना की वजह से लोकडौन हुआ है।और इसी वजह से लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे है जिनको बहुत जरूरी काम हो वही निकल रहे हैं। इस वजह से इन जानवरों को खाने के लिए कुछ भी नहीं देते। पहले लोग अक्सर न केवल कालू जैसे स्वान को बल्कि गाय, भैंस आदि को भी खाने के लिए देते थे।
"चलो इंसान से फ़रिश्ते बन जाए, बेजुबान पशु पक्षियों को बचाएं….।।"
अपनी गली के स्वान को सुबह- शाम एक एक रोटी देकर पिता जी इन दिनों में उनका ख्याल रख रहें हैं।
हम सभी को इन दिनों इन बेजुबान जानवरों का ध्यान रखना चाहिए।
पतिदेव का जवाब सुनकर मैं यह सोचकर हैरान थी कि पिताजी की मंशा कैसे समझ नहीं पाई मैं। मैं बोल उठी, अब तो रोटी बनाते समय मैं भी एक रोटी नीचे गिर दिया करूंगी।यह सुनकर पति मुस्कुराकर बाहर चले गय।