
अन्तिम स्नान
राजीव कुमार
मुन्नु को बहुत कुछ याद आ रहा था, अपनी पिता जी के साथ नदी में स्नान करने जाता था। कभी-कभी खेत में लगे पम्पिग सेट के पास जाकर स्नान करता। पिता जी खुब रगड़कर नहलाते थे, रोने पर पहले तो पुचकारते थे और फिर पीठ पर एक हाथ लगा देते थे।
उसको यह भी स्मरण हो आया कि स्नान करने से मना करने पर पिता जी ने कहा था ’’ इंसान को हर रोज स्नान करना चाहिए। ’’
आज अपने पिता जी को स्नान करवाने में मुन्नु के हाथ कांप रहे है, पानी के गिरने के साथ ही आँख से आंसु भी बह रहे हैं। आज पिता जी न तो हिल-डोल रहे हैं और न ही डांट ही रहे हैं, आज पिता जी अन्तिम विस्तर पर लेटे अन्तिम स्नान ले रहे हैं , पुरा गांव उनको अन्तिम निवास में छोड़कर, मिटटी को मिटटी में मिला आएगा।