
आज शिक्षा का मूल्य इतना बढ़ गया है कि सामान्य परिवार के बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, डॉक्टर बनना है तो मेरिट लिस्ट में शामिल होने के लिए 95 से ज्यादा प्रतिशत के साथ परीक्षा में उत्तीर्ण होना आवश्यक है,
एक गांव में किसान का बेटा पढ़ाई में बहुत तेज था, उसने सायन्स में 95.50 प्रति शत मार्क्स के साथ परीक्षा में सफलता हासिल की थी लेकिन खेती मे इतना आमदानी नहीं मिल रहा था इस लिए अब उसका डॉक्टर बनने का स्वप्न साकार होना असंभव दिख रहा था,
उसके पिताजी ने अपने बेटे को डॉक्टर के रूप में देखना चाहते थे, उन्होने सोचा कि कही से उधार लेकर अपने बेटे को पढ़ा दू, लेकिन बहुत सारे मित्र और रिसतेदार से बात करने पर भी किसी से मदद नहीं मिली, वो रात दिन अपने बेटे की पढ़ाई की चिंता कर रहे थे, बहुत सोचने के बाद उन्होने निर्णय लिया कि अपनी 25 बीघा जमीन मे से 15 बीघा जमीन बेच दिया जाय और अपने बेटे का स्वप्न पूरा किया जाय, उसने ऎसा ही किया, अपनी जमीन बेचकर अपने पुत्र दीपक को मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलवाया, दीपक पांच साल में डॉक्टर बन गया, दीपक का भी एक स्वप्न था कि एक अपनी मेडिकल इंस्टीट्यूट मतलब हॉस्पिटल बनाया जाय, सबसे पहले उसने एक हॉस्पिटल में नौकरी स्वीकार कर लिया, उसने सोचा था वही किया, स्टेशन रोड पर उसने एक प्लॉट खरीद कर उस पर हॉस्पिटल का निर्माण किया, उसने अपने पिता जी को समझाया कि ये जो 10 बीघा जमीन हे उसे बेचकर एक s हॉस्पिटल का निर्माण किया जाय, पिताजी ने दीपक की बात मान लिया और जमीन बेच दिया, कुछ पेसे बैंक से लोन के रूपमे उधार लिया,
दीपक ने सुन्दर हॉस्पिटल के निर्माण में अपना सब कुछ गिरवी रख दिया,लेकिन कुदरत को ये मंजूर नहीं था, दीपक अपने नयेहॉस्पिटल के उद्घाटन समारोह के लिए लोगो को निमंत्रण देने के लिए जा रहा था तो वहाँ उसे एक कार ने टक्कर मार दी। वो रोड पर गिर पड़ा उसे शिर में चोट लगी थी, लहू बह रहा था, एक इंसान ने 108 पर फ़ोन कर के अमब्युलांस बुलाकर उसे हॉस्पिटल में पहुंचाया, लेकिन दीपक बच नहीं पाया। उसके पिताजी ने उसका स्वप्न पूरा करने के लिए रुपयों का ढेर लगा दिया। अपने दीपक के इलाज पर पैसे खर्च किये, लेकिन दीपक बच नहीं पाया!..