
जीवन के रंग हजार
रीता तिवारी "रीत"
कहीं प्यार कहीं तकरार, जीवन के हैं रंग हजार| कहीं भंवर रिश्तो का देखो, उलझा हर इंसान है| जिसको देखो वही परेशा, जीवन से हैरान है| कहीं निराशा के हैं बादल, कहीं आशा का संचार है| लोभ ,मोह, लालच में पड़कर, उलझा हर इंसान है| इस जीवन का ओर नहीं ना, कोई परिभाषा है| बढ़ते रहे कर्म पथ पर हम, भाव जगाती आशा है| जीवन में हर रंग भरो तो, ही जीवन सुंदर होगा| " रीत" कहे गर समझ गए तो, सतरंगी जीवन होगा|