
फैसला
राजीव कुमार
जगत को दुनियादारी का एहसास था लेकिन जमाने की परवाह नहीं थी। वह अपनी बेटी के लिए समाज से लड़ने को तैयार था। जगत ने पंच-परमेश्वर से कहा ’’ आपकी हर सजा को स्वीकार करता हूँ, लेकिन अपनी बेटी का हाथ गंजेरी, भंगेरी और जुआरी के हाथ में नहीं दे सकता। जगत ने अपने घर आकर अपनी पत्नी से बोला ’’ हम लोग अब इा गाँव में नहीं रहेंगे। खेत बेचकर चले जाएंगे। ’’
जगत की बेटी फुलवा ने पिताजी के दृढ फैसले पर गर्व किया लेकिन उनकी अनिच्छा, निराशा और बेबसी को ताड़ गई और पंच परमेश्वर के सामन गंजेरी, भंगेरी और जुआरी कल्ल्न का हाथ थाम लिया।