
शिकायत क्या करनी
डॉ० अनिल चड्डा
जिंदगी से शिकायत क्या करनी, जैसी करनी, वैसी ही तो भरनी। दुष्कर्म किये, अहम का मारा, गई जवानी, अब कुछ न चलनी। करता रहे चाहे जितना धन संचय, अक्षमता ने तेरी चिंता न हरनी। कुछ मिल जाये तो और भी मिले, तृष्ना इस दिल की कभी न मरनी। क्यों करना घमंड काया पर अपनी, अंत में तो तेरी काया भी है जलनी।