
कोरोना का कहर और उसका खौफ हर किसी पर था। इस बीमारी ने आपसी दूरियां बहुत हद तक बढ़ा दी थी। सरकार ने एहतियातन कह दिया था कि ’पुजा’ और ’नमाज़’ घर पर ही कर लें। ऐसा पहली बार हो रहा था कि यमराज ने अपने यमदुतों के जरिए ’’ खुद बचो और औरों को भी बचाओ। ’’ श्लोक घर-घर तक पहुँचवाया। मुल्ला हयातउल्लाह के ऐलान के बाद, इनायतउल्लाह की रवानगी में एक अजीब तरह की दिवानगी आई, एक बैग में कपड़ा समेटते हुए उन्होंने अपने बेगम से कहा ’’जाकर आता हुँ कुछ दिनों में, हुुक्म की तामील हो। ’’ वर्षों से लाॅकडाऊन झेल रही उनकी बेगम ने, उनके हाथ से बैग छीनते हुए कहा ’’ बाहर मत जाइए, लाॅकडाऊन है, आपको आफताब का वास्ता। ’’ इनायतउल्लाह ने हंसते हुए कहा ’’ किसी ने अल्लाह का वास्ता दिया है, उसी को निभाने में ही अपनी खैर है, कौम के लोगों से मिलना-जुलना भी हो जाएगा। ’’ यह कहकर इनायतउल्लाह निकल गए। उनकी बेगम बेंत की चोट से अच्छी तरह वाकिफ थी, इसलिए रोकने की कोशिश भी नहीं की। इनायतउल्लाह ने जमात में लोगों से हाथ मिलाया, गले भी मिले और मौत को हंसते-हंसते गले लगा लिया।