
हिंदी के कालांश में…. खुले नीले आसमान के नीचे छात्रों को पढ़ाना….. मुझे अच्छा लगता है। प्रकृति की गोद में…. सूर्य के प्रखर तेज़ में…. हिंदी की कक्षा में बच्चों से घिर जाना…. मुझे अच्छा लगता है। और भी.. अच्छा लगता है मुझे, जब अध्यापन के दौरान खेल प्रांगण की सीमा पर तैनात…..! प्रकृति के प्रहरी…. वृक्षों की शाखाओं पर बैठे हुए पक्षियों का चहचहाना….। चलती कक्षा के ऊपर से बगुलों के झुंड का गुजरना…. विद्यालय भवन की खिड़कियों में बैठे…. कबूतरों का गुटर गूं करना मुझे अच्छा लगता है। आनलाइन कक्षाओं से मुक्ति पाकर…. कक्षा-कक्ष में छात्रों का साथ पाकर…. मुझे अच्छा लगता है। स्वछंद वातावरण में…. विस्तृत नील गगन के नीचे साहित्यिक चर्चा करना… बच्चों के भावों को सद्गति देना…. मुझे अच्छा लगता है। साहित्य विमर्श के दौरान… कुछ मनचले छात्रों द्वारा क्रीड़ा क्षेत्र में घूमने की इच्छा जताना…. मुझे अच्छा लगता है। तीतर -बटेरों की टेर... और तोतों की चिकचिक सुनना…. मुझे अच्छा लगता है। चढ़ती हुई उम्र के… बहते हुए… भावों को पहचानना…, पहचानकर, पहचान देना….. दिग्भ्रमित को नई दिशा देना…. मुझे अच्छा लगता है। हिंदी के कालांश में…. खुले नीले आसमान के नीचे बच्चों को पढ़ाना…., मुझे अच्छा लगता है।