
तर्कहीन सब तथ्य हैं....
सुशील यादव दुर्ग
तर्कहीन सब तथ्य हैं ,सार हीन हर बात । पूछो नहीं विडम्बना ,वर्तमान हालात ।। गठबंधन की नीव में,डालो फेवीकोल सीधी-सच्ची बात कर, घुमा-फिरा मत बोल चुनो विधायक सोचकर,ये जोखिम का काम सत्ता मद में डूबता,खास-ख़ास या आम पूरी अब होती नही , मन की कोई साध दिल के थाने दर्ज है , जगह-जगह अपराध मन भीतर का तर्क ये ,है बारीक महीन खून वहीं पर खौलता, खोना पड़े जमीन साजन अपनी प्रीत का,ऐसा हो विस्तार। सात जन्म की धारणा,साथ बने आधार।। साजन करवा चौथ में,ना माँगूँ उपहार। सात जनम निभता रहे,इसी जनम से प्यार।। जब-जब देखूं चाँद को,साजन कर लूँ याद। मुझ विरहन की वेदना,मौन रहे संवाद।।