![]() |
मुखपृष्ठ |
आज सुबह पार्क में योगा करते हुए जोशी जी बड़े उदास दिख रहे थे ,जोशी जी जिनकी हँसी ठिठोलियो से पूरा पार्क गूँज उठता था ऐसा लगता था यही तो वो आदमी है जो साठ साल की उम्र में भी बच्चे सी जिन्दगी जी रहा था उनका उदास होना पार्क में बठे लोगो को खटक रहा था |जोशी जी की पत्नी का देहावसान हुए अरसा बीत चुका था बच्चे अपनी दुनिया में मगन थे ऐसा नही था की बच्चे उनकी परवाह नही करते थे पर समय और जनरेशन गैप ने दूरिया बढ़ा दी थी |ऐसे माहौल में जहा ज्यादातर बुजुर्ग खुद को अकेला महसूस करते हुए चिडचिडे हो जाते है वही जोशी जी ने खुद को संभाल लिया था वो बच्चे बन गये थे| कभी बातो बातो में रूठ जाते थे सच कहू रूठने का नाटक करते थे तो कभी बाजार में चलते चलते लालीपॉप खरीदकर खाने लगते ,बच्चो के साथ खेलना उन्हें बड़ा अच्छा लगता था अब भला ऐसे इन्सान का उदास होना सोसाइटी में हलचल मचाने के लिए काफी था |
अरे भाई जोशी जी क्या हुआ उदास क्यों दिख रहे कोई बात हो गयी क्या शर्मा जी ने जोशी जी के पास जाकर पूछा ,यार शर्मा मै देश की हालत से बड़ा दुखी हूँ जोशी जी ने दबी आवाज में कहा और बोलते रहे हर जगह मारकाट कही धर्म के नाम पर कही जाति के नाम पर ,सब एक दुसरे के जान के प्यासे है भाई भाई में लडाई ,चोरी हत्या बलात्कार आखिर कोई कैसे जिए इस समाज में ,पार्क में सन्नाटा छा गया लोग कुछ सोचने लगे थे की तभी जोशी जी की आवाज आयी और इस सब से दुखी होकर मैंने निश्चय किया है की इस बार ठंडी में मै स्नान नही करूँगा ,इस बार मेरा स्नान हड़ताल रहेगा |पार्क का सन्नाटा अब ठहाको की गूँज से भर गया |ओह्ह यार ये जोशी जी भी न बिलकुल बच्चे ही है ये नही सुधरेंगे ऐसी कुछ खुसुर पुसुर शुरू हो गयी थी मुस्कुराते हुए चेहरों के बीच |
हर बुजुर्ग के अन्दर एक जोशी जी जिन्दा है बस जरुरत है उन्हें बाहर निकलने की