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दहकां के दुख दर्द का,तनिक नहीं आभास। वोटन खातिर गाँव में , झूठा करें प्रवास। जनता किस बूते करे, इन पर फिर विश्वास। वर्तमान को खोद कर , बदल रहे इतिहास। खास ज़हनियत के रहे , हरदम ये तो दास। शासन इनका यूँ नहीं , आता सब को रास। बालिंगका लगतानहीं,अनुभव उसको खास। रोहित बल्लेबाज़ है , फेंक रहा फुलटास। जनता की तकलीफ का,ज़रा नहीं अहसास। अगड़म बगड़म काम कर,करा रहे परिहास। दहकां = किसान