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कंजूसी धन की भली ,मन का खर्चा लाभ। कंजूसी मन की करे,उसके फूटे भाग। रिश्ते कंजूसी भरे ,ढले स्वार्थ के संग। जीवन सस्ता हो गया, रिश्ते है बदरंग। तन खर्चे सुख मिलत है ,मन खर्चे है प्रेम कंजूसी इनमें करें ,उनकी कुशल न क्षेम। सारा जीवन कमा के ,रखा तिजोड़ी बीच प्राण पखेरू उड़ गये ,सुत ने दिया उलीच। वाणी कंजूसी करे ,तौल तौल के बोल ते नर आगे बढ़त है ,बोले जो अनमोल