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वह होटल में प्रवेश कर के सीदा मैंनेजेर की केबिन में पहुँचा और पूछा- ‘‘आपके होटल का एक रूम मिलेगा?’’
‘‘जी! जरूर मिलेगा। सिंगल हो या ड़बल?’’
‘‘अकेला ही हूँ।’’
मैनेजर शरारती हँसी बिखरते हुए कहा- ‘‘यहाँ सब अकेले ही आते हैं और..............., खैर कितने दिन रहना है?’’
‘‘तीन-चार दिन। रूम चार्ज क्या है?’’
‘‘हजार रूपये प्रत्येक दिन के।’’
‘‘कुछ ज्यादा नहीं?’’
‘‘सर यह होटल इस शहर की प्रसिद्ध होटलों में से एक है, यहा आपकों हर सुविधा उपलब्ध करवाई जायेगी, सुबह-शाम के खाने के साथ-साथ दोपहर को नाश्ता भी दिया जायेगा।’’
‘‘चलों ठीक है, मुझे तीन-चार दिन ही तो रहना है, कौनसी जिन्दगी पार करनी है?’’
‘‘सर रात का पैकेज भी चाहिए?’’ मैंनेजर ने सहमते हुए पूछा।
‘‘कैसा पैकेज?’’
‘‘शराब-शवाब ............................’’
‘‘कितना चार्ज होगा?’’
‘‘ज्यादा नहीं, एक रात के हजार रूपये।’’
वह मन ही मन सोचने लगा- क्या भारतीय नारिया इतनी सस्ती हो गई, जो हजार रूपये में ही अपनी आबरू.............................., घोर कलयुग आ गया।’’
‘‘क्या सोचने लगे सर?’’ मैनेजर ने खामोशी तोड़ते हुए कहा।
‘‘मुझे नहीं रहना इस नरक में।’’
वह इतना कह कर बाहर की ओर चल पड़ा।