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बेघर सरिता कड़कड़ाती ठण्डक में विवशता से इधर-उधर भटक रही थी कहीं आग दिख जाये, तो उसी के सहारे रात कट जायेगी।
अभी वह जाकर चैराहे पर आग सेंकने बैठी ही थी कि एक फौलादी हाथ उसको अपने कमरे में घसीट ले गया और अपनी आग शान्त करने लगा।