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सुमन रो रो कर कह रही थी माँ मुझे शहर के स्कूल में पढ़ना है में अंग्रेजी
माध्यम में पढ़ना चाहती हूँ माँ उसे समझा रही थी बेटा शहर का बहुत दूर
है। तेरे सभी भाई बहिनें इसी गांव के स्कूल में पढ़े हैं तू भी यहीं पढ़
ले।
"अंग्रेजी पढ़ कर क्या कलेक्टर बनेगी" उसके बड़े भाई ने तंज कसा।
सुमन अपने माँ बाप की पांचवी संतान थी तीन बहिनों में सबसे छोटी उससे एक
बड़ा भाई था एक उससे छोटा। दो बहिनों की जैसे तैसे पिता ने शादी की। भाई
माता पिता के साथ मजदूरी करता था।
उसी समय गांव के स्कूल के कार्यक्रम में जिले की कलेक्टर पाल मेडम आईं
थी। बच्चों से बातचीत के समय सुमन ने गांव की सड़कों की बदहाली और स्कूल
के शौचालय की दुर्दशा के बारे में सभी के सामने भाषण दिया। कलेक्टर मेडम
बहुत प्रभावित हुईं उन्होंने सुमन से कहा की तुम एक अच्छी प्रशासक बन
सकती हो। तबसे सुमन के मन में कलेक्टर बनने की बात दृढ़ संकल्प के रूप में
बैठ गई थी।
आखिर उसकी जिद के आगे माँ बाप को झुकना पड़ा। करीब 15 किलोमीटर दूर के शहर
में एक अच्छे कान्वेंट स्कूल में RTE के तहत गरीब बच्चों कोटे से सुमन
को एडमिशन मिल गया। प्रतिदिन 15 km का रास्ता साईकिल से तय कर पढ़ने जाने
वाली सुमन ने सभी कक्षाओं में अब्बल स्थान प्राप्त कर
भोपाल शहर में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर UPSC की परीक्षा दी प्रथम और
द्वितीय बार में असफल होने के बाद तृतीय बार में सुमन सफल हुई। सफल
परिवीक्षा के बाद उसकी पोस्टिंग कलेक्टर रूप में हुई।
पाल मेडम तब तक कमिश्नर बन चुकी थीं उन्ही के संभाग के जिले में सुमन नई
कलेक्टर के रूप में पदस्थापित हुई थी। मीटिंग के दौरान अपने नए विचारों
एवम कार्यशैली तथा निर्भीकता से अपनी बात रखने की शैली के कारण कमिश्नर
मैडम बहुत प्रभावित हुईं।
"मिस सुमन आए ऍम इम्प्रेस्सेड"पाल मेडम ने सुमन को अपने कक्ष में बुला कर कहा।
"दिस इज बिकॉज ऑफ यू मैडम "सुमन ने मुस्कुराते हुए कहा।
"बिकॉज ऑफ मी बट हाउ " पाल मैडम आश्चर्य चकित थीं।
उसके बाद सुमन ने पूरी कहानी पाल मैडम को सुनाई। पाल मैडम ने आश्चर्य
मिश्रित ख़ुशी से सुमन को गले लगा लिए उनके मुँह से "ब्रेब गर्ल" कई बार
निकला।
सुमन के जाने बाद पाल मेडम सोच रहीं थी कि अगर जागती आँखों से सपने देखो
और उनको पूरा करने में जुट जाओ तो सपने हर हाल में पूरे होते हैं।