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“रावण कौन”
वो
चारों पांचों
शराब में धुत
होकर,
सुबह से
ही रावण का
पुतला बनाने
मे व्यस्त्ा
थे। सब बराबर
लगे हुए थे।
हंसी
मजाक का सफर
जारी था। धीरे
धीरे हंसी मजाक
का सफर गाली
गलौच में तब्दील
हो गया। कुछ
देर बाद वो
आपस में झगडे
लगेा धीरे
धीरे बात बढती
गई, झगडने ने भयानक
रूप धारणर कर
लिया।
कुछ
देर बाद वहां
का नजारा
अजीबो गरीब था, किसी के
दांत टूट गये, किसी का
हाथ टूटा, किसी का
पैर टूटा, किसी का
सिर फूटा।
किसी का क्या, किसी का क्या।
रावण
का पुतला इस
सारे दृश्य
को ऐसे देख
रहा था, जैसे
वह पूछना चाह
रहा हो कि
आखिर रावण कौन
है, मैं या
ये।
- अमित
राज अमित